Saturday, January 30, 2021

बाल कविता - परनानी

 परनानी


रानी पहुंची नानी घर,
बोली जिद मनमानी कर -
कैसी थी नानी की नानी?
चल नानी परनानी घर।

नानी बोली - रानी सुन,
हो गई बात पुरानी पर।
घर होते हैं कई तरह के,
होती एक सी नानी पर।

हठ ना छोड़ी रानी जब,
मानी नही कहानी पर।
नानी बोली - मेरी नानी,
गई घूमने नानी घर।


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